तेरे मिलने को दिल बड़ा बेक़रार रहता है
हर शाम
हर शाम
तेरी परछाइयों से करते हैं सनम गुफ़्तगू
ढूँढा करते हैं गुलशन में तेरी ख़ुशबू
जुगनुओं तुम ही बता दो मुझे इनका पता
अब तो कर ही दूँ अपना हाल-ए-दिल मैं बयां
ये धुन ये जज़्बा बरक़रार रहता है
हर शाम मुझको तेरा इंतज़ार रहता है

नूर तेरा है बरसता इन नज़ारों में
ए ख़ुदा ! ये है दुआ वो दिन आए
मैं कहूँ तुझपे ग़ज़ल, सुन तू शरमाए
इसी ख्वाहिश में हर एक लम्हा गुज़रता है
हर शाम मुझको तेरा इंतज़ार रहता है
तेरे मिलने को दिल बड़ा बेक़रार रहता है
हर शाम
हर शाम
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