Sunday, July 13, 2014

इंतज़ार

हर शाम मुझको तेरा इंतज़ार रहता है
तेरे मिलने को दिल बड़ा बेक़रार रहता है
हर शाम
हर शाम


तेरी परछाइयों से करते हैं सनम गुफ़्तगू
ढूँढा  करते हैं गुलशन में तेरी ख़ुशबू
जुगनुओं तुम ही बता दो मुझे इनका पता
अब तो कर ही दूँ अपना हाल-ए-दिल मैं बयां
ये धुन ये जज़्बा बरक़रार रहता है
हर शाम मुझको तेरा इंतज़ार रहता है

अक़्स तेरा है झलकता चाँद तारों में
नूर तेरा है बरसता इन नज़ारों में
ए ख़ुदा ! ये है दुआ वो दिन आए
मैं कहूँ तुझपे ग़ज़ल, सुन तू शरमाए
इसी ख्वाहिश में हर एक लम्हा गुज़रता है

हर शाम मुझको तेरा इंतज़ार रहता है
तेरे मिलने को दिल बड़ा बेक़रार रहता है
हर शाम
हर शाम



No comments: