खंजर से छुभने लगे ख्वाब जब
आँखों का लहू तब दिल में उतर गया
सीने में लगी ऐसे आग तब..
पानी भी उसमें जलने लग गया
जी करता है खुद को भी जला दूं उसमें
कर दूं भस्म, हो जाऊं सती
लहू का कतरा कतरा बहा दूं उसमें
बहने लगे मन की ठहरी नदी
आँखों का लहू तब दिल में उतर गया
सीने में लगी ऐसे आग तब..
पानी भी उसमें जलने लग गया
जी करता है खुद को भी जला दूं उसमें
कर दूं भस्म, हो जाऊं सती
लहू का कतरा कतरा बहा दूं उसमें
बहने लगे मन की ठहरी नदी
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