Tuesday, December 6, 2011

Of Dreams

खंजर से छुभने लगे ख्वाब जब
आँखों का लहू तब  दिल में उतर गया
सीने में लगी ऐसे आग तब..
पानी भी उसमें जलने लग गया
जी करता है खुद को भी जला दूं उसमें
कर दूं भस्म, हो जाऊं सती
लहू का कतरा कतरा बहा दूं उसमें
बहने लगे मन की ठहरी नदी





 

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