Anand Shankar
Divulging myself..
Tuesday, November 29, 2011
एक और बुलबुला
बुलबुले में कैद ज़िन्दगी
उड़ चली
जिधर को हवा चली..
राह में मिला एक और बुलबुला
संग चल पड़े दोनों
ज़िन्दगी दोगुनी हुई..
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