Tuesday, June 10, 2014

कैफ़े कॉफ़ी डे

यादों की डायरी में
एक पन्ना मेरा पसंदीदा है
कैफ़े कॉफ़ी डे की एक टेबल पर तुम
और दुसरे पर मैं
बारिश से तुम्हारे बाल ज़रा गीले थे
लटें थोड़ी उलझी
और उनमें उलझा मैं.

तुम्हारी हर चुस्की से
मैं ताज़गी से भर उठता
तुम मेरी ओर देखती
और मैं नज़रें झुका लेता
तुम भी.
कितना कुछ कह गया था
तुम्हारे मेरे बीच का मौन

तुमने सलीके से कप नीचे रखा
और सौ का नोट
तुम्हारे क़दम तेज़ हुए
और मेरी सांसें
सीढ़ी से उतारते वक़्त तुम मेरी तरफ पलटी
और मुस्कुरायी
मैं जम गया.. वो लम्हा भी.

आज भी उसी कैफ़े कॉफ़ी डे में
उस हंसी को ढूंढता हूँ
तुमको ढूंढता हूँ|

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