Anand Shankar
Divulging myself..
Wednesday, January 29, 2014
तुम
प्यार है तो है नशा
नशे में ज़िन्दगी सही
शाम ढल गयी, बना
ले जाम ग़म-ए-ज़िन्दगी
आग है तो हैं धुआं
धुंए में धुंध फिर वही
तलाशती तुम्हें नज़र
नज़र में तुम कहीं नहीं
तुम नहीं तो न सही
तेरा ख्वाब भी कोई कम नहीं
एक और रात यूँ
थमी, फिर गुज़र गयी|
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment