Friday, December 6, 2013

उड़ने दो

ख्वाब भरे हों नैनों में तब नैनों को मत खोलो तुम
नींद से उठने की जल्दी है क्यूँ?
पंख दिए हैं मौला ने उड़ जाओ फ़लक से आगे तुम
बैठे हो पिंजरे में क़ैद फिर क्यूँ?
उड़ने दो
इन पंछियों को

जीते हो,जलते हो हर पल आग लिए सीने में जब तुम
भला आग से डरते हो फिर क्यूँ?
संग भले हो कारवां पर रेगिस्तान में चलना है जब
आस छाँव की रखते हो फिर क्यूँ?
उड़ने दो
इन पंछियों को

तेरे लिए खुला है ये आसमा
आगे बढ़ तू पा ले मुक्कमल जहां
आज यहीं हैं अभी अभी है, कल को कल देखा जाएगा
कल की फ़िक्र में देख मुसाफ़िर आज निकल जायेगा

उड़ने दो
इन पंछियों को


तय है एक दिन आएगा जब मिटटी में मिल जाओगे तुम
मिटटी से नफ़रत करते हो क्यूँ?
मोती की ख्वाहिश करते हो, मोती मिलते सागर में जब
गहराई से डरते हो फिर क्यूँ?
उड़ने दो
इन पंछियों को

कृष्ण तुम्हारे आज सारथी, अस्त्र शस्त्र पुरुषार्थ लैस तुम
अर्जुन युद्ध नहीं करते फिर क्यूँ?
आज यहीं हैं अभी अभी है, कल को कल देखा जाएगा
कल की चिंता करते हो फिर क्यूँ?
उड़ने दो
इन पंछियों को





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