गुरुदेव x 4
तुम्ही माता तुम्ही पिता
तुम ही बन्धु हमारे
तुमसे है ये सारी सृष्टि
तुम ही पालनहारे
गुरु कितने रूप तुम्हारे x 4
मेरा क्या था , मेरा क्या है
कुछ भी न था कुछ भी न है
जो भी है वो तुमको अर्पण
मेरा तन मन , मेरा जीवन
कर्म में मेरे धर्म में
मेरे हर एक मर्म में
प्रेम बनके, बनके करुणा
तुम ही हो, हाँ तुम ही रे!
गुरु कितने रूप तुम्हारे x 4
तुम्ही माता तुम्ही पिता
तुम ही बन्धु हमारे
तुमसे है ये सारी सृष्टि
तुम ही पालनहारे
गुरु कितने रूप तुम्हारे x 4
मेरा क्या था , मेरा क्या है
कुछ भी न था कुछ भी न है
जो भी है वो तुमको अर्पण
मेरा तन मन , मेरा जीवन
कर्म में मेरे धर्म में
मेरे हर एक मर्म में
प्रेम बनके, बनके करुणा
तुम ही हो, हाँ तुम ही रे!
गुरु कितने रूप तुम्हारे x 4
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